What is Yoga?

Yoga is essentially a spiritual discipline based on an extremely subtle science that focuses on bringing harmony between mind and body. It is an art and science for healthy living. The word "Yoga" is derived from the Sanskrit root ‘Yuj’ meaning "to join", "to yoke" or "to unite". According to Yogic scriptures, the practice of Yoga leads to the union of individual consciousness with the universal consciousness. According to modern scientists, everything in the universe is just a manifestation of the same quantum firmament. One who experiences this oneness of existence is said to be "in Yoga" and is termed as a yogi who has attained a state of freedom, referred to as Mukti, nirvana, or moksha. "Yoga" also refers to an inner science comprising of a variety of methods through which human beings can achieve union between the body and mind to attain self-realization. The aim of Yoga practice (sādhana) is to overcome all kinds of suffering that lead to a sense of freedom in every walk of life with holistic health, happiness, and harmony.

योग क्या है ?

सार रूप में कहें लो योग आध्यात्मिक अनुशासन एवं अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित ज्ञान है जो सन्त और शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करला है | यह स्वस्थ्य जीवन की कला एवं विज्ञान है। संस्कृत वाड्डमाय के अनुसार योग शब्द युज्‌ धातु में घज््‌ प्रत्यथय लगने से निष्पनन हुआ है। पाणिनीय व्याकरुण के अनुसार यह तीन अर्थां में प्रयुक्त होता है। (१.)- युज्‌ समाधौ +- समाधि (2.)- सुज्जिर योगे 55 जोज़ (3) -- सुज्‌ संयमने ८5 सामंजस्य । यौगिक ग्रंथ्यों के अनुसार, योग अभ्यास व्यक्तिगत चेतनला को सार्वभौमिक चेलनतला के साथ एकाकार कर देता है। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड में जो कुछ भी है वह परमाणु का प्रकटीकरण मात्र है । जिसने योग में इस अस्तित्व के एकत्व का अनुभव कर लिया है, उसे योगी कहा जात्ता है, योगी पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त कर मुक्‍तावस्थ्या को प्राप्त करता है। इसे ही मुवित्त, निर्वाष्प, कैचल्य या मोक्ष कहा जाता है । योग” का प्रयोग आंत्तरिक विज्ञान के रूप में भी किया ज्जाता है, ज्यों विभिन्‍न प्रकार की प्रक्रियाओं का सम्मिलन है, जिसके माध्यम से मनुष्य शरीर एवं मन के बीच सामंजस्य स्थापित कर आत्म साक्षात्कार करता है| योग अभ्यास (साधना) का उद्देश्य सभी त्रिविध प्रकार के दुःखों से आत्यन्तिक निवृत्ति प्राप्त करना है, जिससे प्रत्येक व्यक्ति जीवन्न में पूर्ण स्वतंत्रता ज्ञथा स्वास्थ्य, प्रस्नन्नता एवं सामंजस्य का अनुभव कर सके ।

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